आजादी के पूर्व अंग्रेजों नें सबसे ज्यादा शोषण जिस वर्ग का किया था वह किसान था चाहे वह जमींदारी द्वारा किसानों से की गयी वसूली हो या अंग्रेजों द्वारा जबर्दस्ती किसानों को नील की खेती करने के लिए मजबूर किया गया हो । हालात आजादी के बाद किसके बदलें हैं यह सबको पता है मगर यह देवता, जो भूखों का पेट भरता है आज आर्थिक तंगी के कारण अपने परिवार को पालने में जब असमर्थ हो जाता है तब वह अत्महत्या करने पर मजबूर हो जाता है और आज का ज़्यादातर युवा वर्ग सिर्फ व सिर्फ सैलरी पैकेज के आगे कुछ सोच भी नहीं पा रहा | यह कहानी किसान व सरकार के उस पक्ष को दर्शाती है जिस पर शायद सरकारों व समाज ने आजादी के बाद उतनी शिद्दत से काम नहीं किया जितना की करना चाहिए था इसलिए अमीर और ज्यादा अमीर हो रहें हैं व गरीब और ज्यादा गरीब हो रहें हैं दलालों ने भारत के हर क्षेत्र में एक खाई अमीर व गरीब के बीच पैदा कर दी है यह कहानी किसान परिवार से आए उस इंजीनियर बेटे की है जो पैसे की चकाचौंध में फसनें और उससे बाहर निकल कर किसान की समस्या के समाधान ढूँढने के लिए आंदोलन की राह पकड़ता है |